सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ वैदिक धरà¥à¤® सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का परमधरà¥à¤®
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Manmohan Kumar AryaDate
23-Feb-2016Category
विविधLanguage
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UmeshUpload Date
24-Feb-2016Download PDF
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अगà¥à¤¨à¤¿ आदि किसी पदारà¥à¤¥ के जलना, पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ व गरà¥à¤®à¥€ देना आदि गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को उसका धरà¥à¤® कहा जाता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में जिन शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को होना चाहिये उनका मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में संसà¥à¤•à¤¾à¤° व उन गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ सहित तदनà¥à¤¸à¤¾à¤° आचरण को ही मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का धरà¥à¤® कह सकते हैं। किसी आचारà¥à¤¯ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ व सà¥à¤µà¤¹à¤¿à¤¤ के नियमों का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ जिसमें दूसरों के हितों की किंचित à¤à¥€ अनदेखी व उपेकà¥à¤·à¤¾ हो वह धरà¥à¤® कदापि नहीं हो सकता। धरà¥à¤® वह होता है जिसकी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ सरà¥à¤µà¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¯ व अकाटà¥à¤¯ होने सहित सà¤à¥€ विषयों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ में पूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ रखती हों और जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ धारण करने से उनका अà¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ व निःशà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸ सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ होता हो। असतà¥à¤¯, अहिंसा व सà¥à¤µà¤¹à¤¿à¤¤ के नियम मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को आपस में बांटतें हैं और साथ हि अशानà¥à¤¤à¤¿ व दà¥à¤ƒà¤– उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करते हैं। यदि यह किसी समाज, संगठन व संसà¥à¤¥à¤¾ में हों तो विचार कर उनका निराकरण किया जाना चाहिये जिससे उस संसà¥à¤¥à¤¾ व अनà¥à¤¯ संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं के लोग परसà¥à¤ªà¤° à¤à¤¾à¤ˆ चारे का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° कर परसà¥à¤ªà¤° निजी व सामाजिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ कर सकें। वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ लगà¤à¤— 1.96 अरब वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ पूरà¥à¤µ असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आई थी। लगà¤à¤— 5,200 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤• महायà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤† जिसे वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के नाम से जाना जाता है। यà¥à¤¦à¥à¤§ में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¤¾à¤°à¥€ कà¥à¤·à¤¤à¤¿ होती है। बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में लोग मारे जाते हैं। परिवारों में व देश में उनकी मृतà¥à¤¯à¥ से सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° दà¥à¤ƒà¤– का वातावरण छा जाता है। लोगों की सामानà¥à¤¯ दिनचरà¥à¤¯à¤¾ असà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हो जाती है। राजà¥à¤¯ की आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पर à¤à¥€ इसका दà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ता है। राजà¥à¤¯ से शिकà¥à¤·à¤¾, चिकितà¥à¤¸à¤¾ व अनà¥à¤¯ विà¤à¤¾à¤—ों का बजट कम करके उपलबà¥à¤§ धनराशि को यà¥à¤¦à¥à¤§ में हà¥à¤ˆ कà¥à¤·à¤¤à¤¿ की पूरà¥à¤¤à¤¿ में लगाना पड़ता है। à¤à¤¸à¤¾ ही कà¥à¤› कम या अधिक महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के यà¥à¤¦à¥à¤§ के बाद हमारे देश में à¤à¥€ हà¥à¤†à¥¤ उसके बाद देश की जो सामाजिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ उससे लगता है कि देश की शिकà¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ पूरी तरह धà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ हो गई थी। कहां तो महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ पूरà¥à¤µ हमारे देश में योगेशà¥à¤µà¤° शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£, महातà¥à¤®à¤¾ विदà¥à¤°, यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर व अरà¥à¤œà¥à¤¨ जैसे विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ व वीर मनà¥à¤·à¥à¤¯ तथा दà¥à¤°à¥‹à¤ªà¤¦à¥€, कà¥à¤¨à¥à¤¤à¥€ व मादà¥à¤°à¥€ जैसी शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ व वेदजà¥à¤žà¤¾à¤¨ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ विदà¥à¤·à¥€ महिलायें होती थी और कहा महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के बाद यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ में गाय, बकरी, à¤à¥‡à¤¡à¤¼ व अशà¥à¤µ आदि की हिंसा करते हà¥à¤ हमारे यजà¥à¤žà¤•à¤°à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होते हैं। अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ बढ़ने लगे और इसके साथ जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ जातिवाद, ऊंच-नीच, छà¥à¤†à¤›à¥‚त, अवतारवाद, मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा, फलित-जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· जैसे अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ व कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ समाज में घर कर गये जिनसे आज तक à¤à¥€ पीछा नहीं छूटा है। पतन यहां तक हà¥à¤† कि सà¤à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ से वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व शिकà¥à¤·à¤¾ का अधिकार ही छीन लिया गया। यह सब समाज की घोरतम पतनावसà¥à¤¥à¤¾ थी। इस अवसà¥à¤¥à¤¾ से जो सामाजिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होनी थी वह अविवेकपूरà¥à¤£ ही होती, विवेकपूरà¥à¤£ तो तब होती जब देश में लोग बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ का पालन करते हà¥à¤ अपना अधिकांश समय विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤œà¤¨, सतà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¦à¥‡à¤¶, अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ व अवैदिक मतों के खणà¥à¤¡à¤¨ में लगाते। यह शà¥à¤°à¥‡à¤¯ किसी ने नहीं लिया। इसका शà¥à¤°à¥‡à¤¯ उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ सदी में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• और वेदों के मरà¥à¤®à¤œà¥à¤ž विदà¥à¤µà¤¾à¤¨, सिदà¥à¤§ योगी व परमदेशà¤à¤•à¥à¤¤ व वेदधरà¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ को मिला।
सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नहीं हो सकता। उनके लिठयह कारà¥à¤¯ असमà¥à¤à¤µ है। हमारी यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ वा à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• जगत जड़ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सूकà¥à¤·à¥à¤® कणों वा परमाणà¥à¤“ं से मिलकर बना है। यह परमाणॠà¤à¥€ नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के होते हैं। हाइडà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨, आकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨, नाईटà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨, कारà¥à¤¬à¤¨, आयरन, कैलà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤® आदि अनेक ततà¥à¤µ हैं जिनके सूकà¥à¤·à¥à¤® परमाणॠसंरचना की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के होते हैं। यह जिस सतà¥à¤µ, रज व तम गà¥à¤£à¥‹à¤‚ वाली पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से बने वा बनायें गये हैं, उसके लिठà¤à¤• अतिसूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤® सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž, निराकार, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, सृषà¥à¤Ÿà¤¿ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का पूरà¥à¤µ अनà¥à¤à¤µ रखनेवाली सतà¥à¤¤à¤¾ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है। बिना इसके सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ नहीं हो सकता। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ यह घोषणा कर रहा है कि मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• दिवà¥à¤¯ सतà¥à¤¤à¤¾ जो निराकार, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• व सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž होने सहित सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ आदि गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ है, उसने इस समसà¥à¤¤ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ वा बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ को बनाया है। बनाने वाले ईशà¥à¤µà¤° से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ उपादान कारण के रूप में जिस जड़ पदारà¥à¤¥ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया, उसे पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ कहते हैं। उस ईशà¥à¤µà¤° ने पहले अति सूकà¥à¤·à¥à¤® पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ परमाणà¥à¤“ं में बदला वा बनाया, फिर उनसे अणà¥à¤“ं का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होकर यह समसà¥à¤¤ सà¥à¤¥à¥‚ल जगत बना है जिसमें सूरà¥à¤¯, चनà¥à¤¦à¥à¤°, पृथिवी, नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° आदि समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं। यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि जड़ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ होने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ नहीं होती। उसके लिठकिसी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ चेतन, शकà¥à¤¤à¤¿à¤¸à¤®à¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से à¤à¥€ सूकà¥à¤·à¥à¤® सतà¥à¤¤à¤¾ की अपेकà¥à¤·à¤¾ होती है जिसे सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ कहते हैं। बिना करà¥à¤¤à¤¾ के कोई कारà¥à¤¯ नहीं होता। आप आटे व उससे बनने वाली रोटी का सारा समान बनाकर अपने रसोईघर में रख दीजिà¤à¥¤ जब तक कोई रोटी बनाने वाला मनà¥à¤·à¥à¤¯ रोटी नहीं बनायेगा, समसà¥à¤¤ सामान उपलबà¥à¤§ होने पर à¤à¥€ रोटी अपने आप कà¤à¥€ नहीं बनेगी। अतः ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना, उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ व पालन होना यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ व तरà¥à¤• से सिदà¥à¤§ है। यदि कोई इन तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को नहीं मानता तो वह अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€, हठी व दà¥à¤°à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¥€ ही कहा जा सकता है। यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है।
ईशà¥à¤µà¤° ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ बनाई और मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ सहित समसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ जगत को à¤à¥€ उसी ने इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि काल में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया, तब से अब तक और आगे à¤à¥€ निरनà¥à¤¤à¤° उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करता रहेगा। अनà¥à¤¯ कोई यह कारà¥à¤¯ नहीं कर सकता था और सृषà¥à¤Ÿà¤¿ रचना और पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ अपने आप वा सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ हो नहीं सकती थी। अतः ईशà¥à¤µà¤° के ऊपर न केवल सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रकà¥à¤·à¤¾ व पालन का उतà¥à¤¤à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ है अपितॠमनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ सहित सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पालन-पोषण सहित उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤·à¤¾ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ देना à¤à¥€ उसी का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होता है। अब इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पर विचार करना उचित है कि ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ वह à¤à¤¾à¤·à¤¾ कौन थी और उसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कà¥à¤¯à¤¾ व किस रूप में था? इसका उतà¥à¤¤à¤° हमसे पूरà¥à¤µ ही हमारे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ व बाद में महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अनेक पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚, तरà¥à¤•à¥‹à¤‚ व यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से दिया है जिसे सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में देखा जा सकता है। पà¥à¤°à¤¬à¤² यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से पोषित यह उतà¥à¤¤à¤° बताता है कि ईशà¥à¤µà¤° ने मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को बोलने के लिठउतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ जिसे वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ कह सकते हैं, का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ आदि ऋषियों व मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को दिया था। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पर विचार करने पर जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि ईशà¥à¤µà¤° ने अपना वह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ चार वेद ‘ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦-यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦-सामवेद-अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦’ के रूप में चार ऋषियों अगà¥à¤¨à¤¿-वायà¥-आदितà¥à¤¯-अंगिरा को उनकी आतà¥à¤®à¤¾ में पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ किया था। ईशà¥à¤µà¤° निराकार, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ है अतः ऋषियों वा मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की अनà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ में जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करना व उसकी पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ करना उसके लिठसरल, सहज व सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• है। ईशà¥à¤µà¤° के लिठयह कारà¥à¤¯ यह समà¥à¤à¤µ है असमà¥à¤à¤µ कदापि नहीं। चार वेदों का यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ईशà¥à¤µà¤° ने उनके अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ वा à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ सहित सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया था जिससे ऋषियों को वेदारà¥à¤¥ जानने में कोई कठिनता नहीं हà¥à¤ˆà¥¤ उन ऋषियों को ईशà¥à¤µà¤° की ओर से यह दायितà¥à¤µ à¤à¥€ दिया गया था कि वह वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को अमैथà¥à¤¨à¥€ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ यà¥à¤µà¤¾ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को उपदेश, अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ करायें जिसे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सफलतापूरà¥à¤µà¤• किया à¤à¥€à¥¤ वही परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² तक अबाध रूप से चली और उसके बाद लà¥à¤ªà¥à¤¤ व विशà¥à¤°à¥ƒà¤‚खलित होने पर महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ (1825-1883) ने उसे पà¥à¤¨à¤ƒ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ किया और उनकी इस कृपा से आज चारों वेद पूरà¥à¤£ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ हैं व उनके हिनà¥à¤¦à¥€ व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ सहित अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ व अनà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ हैं जिससे साधारण हिनà¥à¤¦à¥€ पढ़ सकने वाला मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ हो सकता है। इसी से हमने à¤à¥€ लाठउठाया, हम जो कà¥à¤› हैं, इसी का परिणाम हैं।
चार वेद सà¤à¥€ सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गपूरà¥à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हैं। शायद ही कोई à¤à¤¸à¤¾ विषय हो जिसका उलà¥à¤²à¥‡à¤– व मनà¥à¤·à¥à¤¯ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ की शिकà¥à¤·à¤¾ वेद में न हो। इसी कारण महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अपने जीवन काल में घोषणा की थी कि वेद ईशà¥à¤µà¤° कृत हैं और सब सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• हैं। इनका पढ़ना व पढ़ाना और सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ व सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾ संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का परम धरà¥à¤® (परम करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯) है। यदि किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ ने वेद नहीं पढ़े और उनका पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° नहीं किया तो इसका अरà¥à¤¥ है कि हमने मनà¥à¤·à¥à¤¯ के परम धरà¥à¤® का पालन नहीं किया। वेद से इतर मत-मतानà¥à¤¤à¤° वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से देखने पर कà¥à¤› व अधिक मातà¥à¤°à¤¾ में धरà¥à¤® हो सकते हैं परनà¥à¤¤à¥ वेद परम-धरà¥à¤® है। वेद विरà¥à¤¦à¥à¤§ विचार, कारà¥à¤¯ व आचरण अधरà¥à¤® ही कहा जा सकता है। जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ वेद नहीं पढ़ता और उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आचरण नहीं करता वह इस जगदीशà¥à¤µà¤° सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ के नियम को तोड़ने का दोषी होता है। ईशà¥à¤µà¤° व वेद की ओर से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤•à¥ƒà¤¤ रचनाओं को पढ़ने की मनाही नहीं है, इनको à¤à¥€ पढ़ना चाहिये, परनà¥à¤¤à¥ यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिये कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ के अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž होने से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤•à¥ƒà¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ दोनों का मिशà¥à¤°à¤£ होता है। अतः वेदों को जानकर वेदसमà¥à¤®à¤¤ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का ही आचरण व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करना चाहिये। वेद में ही ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ आदि पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प का वरà¥à¤£à¤¨ है। इनके अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से ही ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿-पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾-उपासना, देवयजà¥à¤ž व अनà¥à¤¯ यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ के विधिपूरà¥à¤µà¤• करने का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। वेदों की इसी महतà¥à¤¤à¤¾ के कारण सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ से लेकर महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² तक के à¤à¤• अरब छियानवें करोड़ आठलाख अड़तालीस हजार वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक à¤à¥‚मणà¥à¤¡à¤² पर à¤à¤• ही मत वैदिक मत वा धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° रहा। अनà¥à¤¯ किसी महापà¥à¤°à¥‚ष ने कà¤à¥€ नये मत की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का विचार ही नहीं किया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनरकी न तो आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ थी और à¤à¤¸à¤¾ करने पर à¤à¥€ वह वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ की तरह पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ नहीं हो सकते थे। वेदेतर सà¤à¥€ मत महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° व अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के समय में असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आयें हैं। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आये? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि लोग वेदों के मारà¥à¤— को à¤à¥‚ल बैठे थे। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मत-पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया जाता रहा। वेद की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में सà¤à¥€ मत व उनकी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से उचà¥à¤š न होकर निमà¥à¤¨à¤¤à¤° ही हैं। अतः सतà¥à¤¯ के खोजी व पिपासà¥à¤“ं के लिठवेद ही अनà¥à¤¤à¤¿à¤® लकà¥à¤·à¥à¤¯ है। वेद समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ मानव धरà¥à¤® है। वेदरिà¥à¤¦à¥à¤§ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ धरà¥à¤® नहीं अपितॠअधरà¥à¤® हैं जो सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में समान रूप से पाये जाते हैं। वैदिक धरà¥à¤® ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ होने से सबके लिठकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ आचरणीय है। यदि इसका कोई पालन नहीं करेगा तो ईशà¥à¤µà¤° की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का पालन न करने का दोषी होगा और उसका परजनà¥à¤® उसके इस जनà¥à¤® में वेदाजà¥à¤žà¤¾ का पालन न करने से दणà¥à¤¡ का कारण व आधार हो सकता है। हमने सतà¥à¤¯ के सà¥à¤µà¤°à¥‚प के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ के लिठकà¥à¤› विचार पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किये हैं। आशा है सतà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ इससे लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होंगे।
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